ऐसा लगता बाढ़ आएगी, सुंदर खुशबु लाएगीl ऐसा लगता बाढ़ आएगी, सुंदर खुशबु लाएगीl
मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए
शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ
मैं कवि नहीं, बस अल्फ़ाज़ पढ़ता हूँ। मैं कवि नहीं, बस अल्फ़ाज़ पढ़ता हूँ।
प्रगतिशील विचारधारा से पूर्ण, प्रकृति प्रेम से रचना हैं पूर्ण।। प्रगतिशील विचारधारा से पूर्ण, प्रकृति प्रेम से रचना हैं पूर्ण।।
एक मूर्त रूप देता हैं एक कवि अपनी कविता को। एक मूर्त रूप देता हैं एक कवि अपनी कविता को।